Manu Smriti
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यादृशा धनिभिः कार्या व्यवहारेषु साक्षिणः ।तादृशान्संप्रवक्ष्यामि यथा वाच्यं ऋतं च तैः ।।8/61

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो मनुष्य धन व्यवहार सम्बन्धी अभियोगों में साक्षी स्वरूप नियत व उपस्थित होने चाहिये तथा साक्षी लोग जैसी सत्य साक्षी देवें उन सबको कहते हैं-
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. साहूकारों अर्थात् धन देने वालों को मुकद्दमों में जैसे साक्षी बनाने चाहिए उनको और उन साक्षियों को जैसे सत्यबात कहनी चाहिए उसे अब आगे कहूंगा ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
महाजन लोग मुकदमों मे कैसे गवाह पेश करें और उनको किस प्रकार सच सच गवाही देना चाहिये इसका वर्णन अब करेगें ।
 
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