Manu Smriti
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साक्षिणः सन्ति मेत्युक्त्वा दिशेत्युक्तो दिशेन्न यः ।धर्मस्थः कारणैरेतैर्हीनं तं अपि निर्दिशेत् ।।8/57

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
हमारे साक्षी हैं ऐसा कहने पर भी जो साक्षियों को उपस्थित नहीं करता है, इन कारणों से न्यायाधीश उसको पराजित समझे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
पहले ‘मेरे साक्षी हैं’ ऐसा कहकर और फिर गवाही के समय न्यायाधीश के द्वारा ‘साक्षी लाओ’ ऐसा कहने पर जो साक्षियों को पेश न कर सके तो न्यायाधीश इन कारणों के आधार पर भी मुकद्दमा दायर करने वाले को पराजित घोषित कर दे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इसी प्रकार ‘मेरी साक्षी है’ ऐसा कह कर, ‘साक्षी पेश करो’ ऐसा कहा हुआ, जो साक्षी को पेश न करे, धर्मशील राजा उसे भी उपर्युक्त सब कारणों से हीन ठहरावे। अर्थात्, साक्षी-विषयक झूठ बोलने वाले अभियोक्ता को उपर्युक्त दसों झूठों का बोलने वाला समझना चाहिए।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
मेरे पास गवाह है ऐसा कहने पर हाकिम कहे पेश करो और न पेश करे तो हाकिम को चाहिये कि इन कारणो से उसे हरा दे
 
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