Manu Smriti
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सत्यं अर्थं च संपश्येदात्मानं अथ साक्षिणः ।देशं रूपं च कालं च व्यवहारविधौ स्थितः ।।8/45

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
राजा विधि व्यवहार पर स्थिति होकर सत्य, तत्वार्थ, आत्मा, साक्षी, देश, काल, रूप इन सबों को देखे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. मुकद्दमों का फैसला करने के लिए तैयार हुआ राजा मुकद्दमे की सत्यता, उद्देश्य अपनी आत्मा के निर्णय को और साक्षियों को तथा देश, स्वरूप एवं समय को अच्छी प्रकार देखे - विचार करे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
मुक़द्दमे की पड़ताल में बैठा हुआ राजा, वास्तविक मामले के स्वरूप, मामला पेश करने वाले, साक्षियों, देश, अवस्था, और काल को ठीक-ठीक देखे कि असली मामला क्या है? वादी कौन और कैसा है? साक्षी कौन और कैसे हैं? कहां, किस हालत में, और कब यह मामला हुआ?
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(व्यवहार विधौ स्थितः) जो राजा मुकदमे का फैसला करने में संलग्र है उसको चाहिये कि इन बातो पर पूर्ण रीति से विचार करे:- (1) सत्य - अर्थात कोई छल तो नही है (2) अर्थ - अभियोग का उदेश्य क्या है (3) आत्मानम - स्वयं अपने पद का विचार करे कि मै राजा हूॅ । मुक्षे न्याय करना चाहिये । (4) देश (5) रूप् (6) काल
 
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