Manu Smriti
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अनृतं तु वदन्दण्ड्यः स्ववित्तस्यांशं अष्टमम् ।तस्यैव वा निधानस्य संख्ययाल्पीयसीं कलाम् ।।8/36

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यदि असत्य बोले तो अपनी वस्तु का आठवाँ भाग दण्ड स्वरूप दे अथवा उस धन की संख्या के अल्प भाग के तुल्य निज धन दण्ड स्वरूप देवे, तथा उपरोक्त धन का निर्धारित भाग उचित समझना चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
अगर कोई झूठ बोलने अर्थात् किसी धन पर झूठा दावा करे या झूठ ही अपना बतलावे तो ऐसे अपराधी को अपना कहे जाने वाले उस धन का आठवां भाग जुर्माना करे अथवा हिसाब लगाकर उस दावे वाले धन का कुछ भाग जुर्माना करे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु यदि कोई झूठा दावा करे कि यह निधि मेरी है, तो उसे, उसके सम्पूर्ण धन का आठवां भाग जुर्माना करना चाहिए। अथवा, उस निधि का कम से कम हिसाब लगाकर जो कीमत बैठे, उतना जुर्माना करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
यदि झूठ बोले तो उसके धन का आठवाॅ भाग जुर्माना करे या जितने का दावा किया है उसका कुछ भाग ।
 
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