Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो वस्तु पृथ्वी में गढ़ी है उसको राजा के समीप ले जावें, यदि कोई अन्य पुरुष कहे कि यह वस्तु मेरी है तथा उसके संख्यादि को यथा तथ्य (ठीक ठीक) सप्रमाण बतला दे तो वह वस्तु वही पावे, और उस वस्तु का छठा व बारहवाँ भाग राजा लेवे। राजा उसके स्वामी के वित्तानुसार भाग निर्धारित करे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
चोरी से प्राप्त धन को जो मनुष्य रंग, रूप, तोल, संख्या आदि की ठीक पहचान के द्वारा ‘यह वास्तव में मेरा है’ ऐसा सच - सच बतला दे तो राजा उस धन में से छठा या बारहवंा - भाग कर के रूप में ले ले और शेष धन उसके स्वामी को लौटा दे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इसी प्रकार भूमि में गढ़े हुए धन की प्राप्ति होने पर, यदि कोई मनुष्य सचाई से कहे कि यह निधि मेरी है, तो राजा उसका छठा या बारहवां भाग लेकर शेष उसे दे देवे।