Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
प्रनष्टाधिगतं द्रव्यं तिष्ठेद्युक्तैरधिष्ठितम् ।यांस्तत्र चौरान्गृह्णीयात्तान्राजेभेन घातयेत् ।।8/34

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पड़ी हुई वस्तु पावें तो उसकी रक्षा सज्जन पुरुषों द्वारा कराके उसे रख तथा राजा उसके चुराने वालों को हाथी से मरवादे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
चुरा लेने के बाद प्राप्त किये गये धन को राजा योग्य रक्षकों के पहरे - सुरक्षा में रखे अगर उस पहरे में से भी चोरी करते हुए जो चोर पकड़े जायें (चाहे वे पेशेवर चोर हों अथवा रक्षक राजपुरूष) उन्हें राजा हाथी से कुचलवाकर मरवा डाले ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
खोई हुई वस्तु को सॅभालकर रक्खे जो उसको चोर ले जायॅ तो उनको राजा हाथी से मरवा डाले ।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS