Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पड़ी हुई वस्तु पावें तो उसकी रक्षा सज्जन पुरुषों द्वारा कराके उसे रख तथा राजा उसके चुराने वालों को हाथी से मरवादे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
चुरा लेने के बाद प्राप्त किये गये धन को राजा योग्य रक्षकों के पहरे - सुरक्षा में रखे अगर उस पहरे में से भी चोरी करते हुए जो चोर पकड़े जायें (चाहे वे पेशेवर चोर हों अथवा रक्षक राजपुरूष) उन्हें राजा हाथी से कुचलवाकर मरवा डाले ।