Manu Smriti
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ममेदं इति यो ब्रूयात्सोऽनुयोज्यो यथाविधि ।संवाद्य रूपसंख्यादीन्स्वामी तद्द्रव्यं अर्हति ।।8/31

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो मनुष्य राजा के सम्मुख जाकर यह कहे कि ’यह वस्तु मेरी है‘ तो राजा उससे उस वस्तु का रूप तथा संख्या आदि पूछे। यदि वह सप्रमाण सत्य बतला दे तो वह वस्तु उस मनुष्य को दे दे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. जो कोई उस लावारिस धन को ‘यह मेरा है’ऐसा कहे तो उससे उचित विधि से प्रश्न करे (अर्थात् धन की संख्या, रंग, समय पहचान आदि पूछे) धन का स्वरूप, मात्रा आदि बातों को सही - सही बताकर ही स्वामी उस धन को लेने का अधिकारी होता है अर्थात् सही - सही पहचान बताने पर राजा उस धन को लौटा दे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो कोई कहे कि यह धन मेरा है, उससे उस धन के सम्बन्ध में सब बातें पूछनी चाहियें। वह उस धन के रूप व प्रमाण आदि को ठीक-ठीक बतला कर, स्वामी प्रमाणित हो जाने पर, उस द्रव्य को ले सकता है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जा कहे कि मेरी जायदाद है उसकी ठीक ठीक जाॅच करे कि कैसी है कितनी है इत्यादि । यदि वह ठीक है तो उसे दे दो जाय ।
 
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