Manu Smriti
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प्रणष्टस्वामिकं रिक्थं राजा त्र्यब्दं निधापयेत् ।अर्वाक्त्र्यब्दाद्धरेत्स्वामी परेण नृपतिर्हरेत् ।।8/30

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस धन का कोई स्वामी नहीं है उस धन की राजा तीन वर्ष पर्यन्त (1) रक्षा करे। यदि इस समय के अन्तर्गत उनका स्वामी आ जावे तो उसकी धन सम्पत्ति उसे सौंप दे। तीन वर्ष की अवधि व्यतीत हो जाने पर उस स्वामी रहित धनदि का (2) स्वामी राजा है।
टिप्पणी :
1-लोग यह समझते हैं कि कोर्ट अॉफ वार्डस् की रीति अंग्रेजों ने प्रचलित की है परन्तु मनुजी ने इसे प्रथम ही लिख दिया है। 2-जो लोग स्वामी हीन धन को राजा के लेने से राज को अपशब्द कहते हैं वे भूल पर हैं। मनुजी के मत से राजा सारी प्रजा का स्वामी है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. मालिक से रहित धन अर्थात् लावारिस धन को राजा तीन वर्ष तक सुरक्षित रखे तीन वर्ष से पहले यदि स्वामी आ जाये तो वह उसको ले ले उसके बाद उसे राजा ले ले ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जिस धन का कोई स्वामी न हो, उस लावारिस धन को राजा तीन वर्ष तक धरोहर के तौर पर रखे। यदि तीन वर्ष के भीतर उसके स्वामी का पता लग जावे, तो वह लेले। अन्यथा, उसके बाद वह राजकोष में दाखिल हो जावे।
 
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