Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
जीवन्तीनां तु तासां ये तद्धरेयुः स्वबान्धवाः ।ताञ् शिष्याच्चौरदण्डेन धार्मिकः पृथिवीपतिः ।।8/29

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
उपरोक्त सबों की जीवित दशा में उनके धन आदि का यदि उनके सम्बन्धी अपहरण कर लेवें तो धर्मात्मा राजा उस धनादि के हरण करने वाले को चोर की नाईं दण्ड देवे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. उन (८।२८ में उक्त) जीती हुई स्त्रियों के धन को जो उनके रिश्तेदार या भाई - बन्धु हर लें - कब्जा लें तो धार्मिक राजा उन व्यक्तियों को चोर के समान दण्ड से शिक्षा दे अर्थात् चोर के समान दण्ड देकर उनको सही रास्ते पर लाये ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
यदि इन उपर्युक्त स्त्रियों के जीते हुए उन के बन्धुलोग उस धन को जबर्दस्ती छीनें, तो धार्मिक राजा उन्हें चोर का दण्ड दे।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS