Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
बाँझ, निर्वशी व कुल से बहिष्कृत (निकाली हुई), पतिव्रता, विधवा व रोगिणी इन सबकी सम्पत्ति आदि की रक्षा राजा करे जिससे उसे कोई अपहरण न कर सके।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
बांझ और पुत्रहीन कुलहीन अर्थात् जिसके कुल में कोई पुरूष न रहा हो पतिव्रता स्त्री अर्थात् पति के परदेशगमन आदि कारण से जो स्त्री अकेली हो विधवा और रोगिणी स्त्रियों की सम्पति की रक्षा भी इसी प्रकार अर्थात् उनके समर्थ हो जाने तक करनी चाहिए ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इसी प्रकार वन्ध्या, पुत्रहीना, जिस स्त्री के कुल में कोई न रहा हो, पतिव्रता, विधवा, तथा रोगिणी स्त्रियों के धन की भी रक्षा राजा करे।