Manu Smriti
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बालदायादिकं रिक्थं तावद्राजानुपालयेत् ।यावत्स स्यात्समावृत्तो यावच्चातीतशैशवः ।।8/27

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यदि अनाथ बालक के धन को उसके चाचा आदि लेते हों तो राजा उस धन को उस समय तक अपने पास रक्खे जब तक कि उस बालक का समावर्तन कर्म न हो तथा उसका शैशव (लड़कपन) अजीज (व्यतीत) न हो।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. राजा बालक अर्थात् नाबालिग या अनाथ बालक की पैतृक सम्पति और अन्य धन - दौलत की तब तक रक्षा करे जब तक वह बालक समावर्तन संस्कार होकर अर्थात् गुरूकुल से स्नातक बनकर आये और जब तक वह बालिग हो जाये ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
नाबालिग के दायभाग के धन की रक्षा राजा तब तक करे जब तक कि वह गुरुकुल में पढ़कर समावर्तन-संस्कार से संस्कृत होकर घर नही लौटता, या जब तक उसका शैशव-काल समाप्त नहीं हो जाता।
 
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