Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस देश में एक ब्राह्मण व पण्डित, वेदज्ञाता तीन ब्राह्मणों के साथ विवाद-निर्णय करने के हेतु राजाज्ञानुसार बैठता है उस सभा को ब्रह्माजी की सभा जानना चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जिस स्थान में वेदों के ज्ञाता तीन विद्वान् बैठते हैं और एक राजा द्वारा नियुक्त उस विषय का विद्वान् बैठता है उस सभा को ‘ब्रह्मसभा’ जानते हैं - मानते हैं ।