Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
हिमवद् - विन्ध्ययोः मध्यं उत्तर में हिमालय पर्वत और दक्षिण में विन्ध्याचल के मध्यवर्ती यत् प्राक् विनशनादपि तथा पूर्व में विनशन - सरस्वती नदी के लुप्त होने के स्थान से लेकर च और प्रयागात् प्रत्यग् प्रयाग से पश्चिम तक मध्यदेशः प्रकीर्तितः ‘मध्यदेश’ कहा जाता है ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(हिमवत् + विन्धयोः) हिमालय और विंध्याचल के (मध्यं) बीच में (यत्) जो (प्राक् + विनशनात् + अपि) जो सरस्वती से पूर्व में (प्रत्यक् एव प्रयागात् च) और प्रयाग के पश्चिम में है वही (मध्यदेशः प्रकीर्तितः) मध्य देश माना गया है।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जिस ब्रह्मावर्त में हिमालय और विन्ध्य पर्वतों में का वह मध्यवर्ती स्थान, जोकि सिन्धु से पूर्व की ओर और प्रयाग से पश्चिम की ओर है, मध्यदेश कहलाता है।