Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
इस प्रकार इन बातों को सचिवों सहित विचारें तत्पश्चात् व्यायाम करें, तथा दोपहर समय स्नान करके भोजनार्थ राज-मन्दिर में प्रवेश करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. इस प्रकार राजा यह पूर्वोक्त (७।१४६-२१५) सब मन्त्रियों के साथ विचार - विमर्श करके व्यायाम करके स्नान करके फिर दोपहर के समय भोजन करने के लिए अन्तःपुर अर्थात् पत्नी के निवास - स्थान में प्रवेश करे ।
टिप्पणी :
‘‘पूर्वोक्त प्रातःकाल समय में उठ, शौचादि संध्योपासन, अग्निहोत्र कर वा करा, सब मंत्रियों से विचारकर सभा में जा सब भृत्य और सेनाध्यक्षों के साथ मिल उनको हर्षित कर नानाप्रकार की व्यूह - शिक्षा अर्थात् कवायद कर - करा, सब घोड़े, हाथी, गाय आदि स्थान शास्त्र और अस्त्र का कोश तथा वैद्यालय, धन के कोशों को देख, सब पर दृष्टि नित्यप्रति देकर, जो कुछ उनमें खोट हों उनको निकाल, व्यायामशाला में जा व्यायाम करके, भोजन के लिए ‘अन्तःपुर’ अर्थात् पत्नी आदि के निवास - स्थान में प्रवेश करे ।’’
(स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इस प्रकार पूर्वोक्त सब विषयों पर मंत्रियों से विचार करके तदनन्तर राजा व्यायामशाला में जाकर व्यायाम करे। तत्पश्चात्, स्नान कर मध्याह्र समय में भोजन के लिए अन्तःपुर, अर्थात् पत्नी आदि के निवासस्थान में प्रवेश करे।१
टिप्पणी :
मंत्रियों से जिन विषयों पर विचार करना है, उनकी निगरानी भी प्रतिदिन व्यायाम से पूर्व करनी आवश्यक है। अतः, आगे व्याख्यारूप में स्वामी जी ने लिखा है-‘‘सेना में जा, सब भृत्यों और सेनाध्यक्षों के साथ मिल, उन को हर्षित कर, नाना प्रकार की व्यूहशिक्षा अर्थात् कवायद कर-करा, घोड़े-हाथी-गाय आदि के सब स्ािान, शस्त्र और अस्त्र का कोश, वैद्यालय, तथा धन के कोश को देख, सब पर नित्यप्रति द्ष्टि देकर जो कुछ उनमें खोट हों उन को निकाल व्यायामशाला में जा व्यायाम करे।’’