Manu Smriti
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साम्ना दानेन भेदेन समस्तैरथ वा पृथक् ।विजेतुं प्रयतेतारीन्न युद्धेन कदा चन ।।7/198

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
साम, दाम, भेद इनमें से पृथक पृथक व तीनों द्वारा ही न करे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. ‘साम’ से ‘दाम’ से ‘भेद’ से इन सब उपायों से एक साथ अथवा अलग - अलग एक - एक से शत्रुओं को जीतने का प्रयत्न करे कभी पहले युद्ध से जीतने का यत्न न करे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
साम दान भेद सब से या इनमे से एक एक से शत्रु को जीतने का यत्न करे और कभी कभी युद्ध से भी ।
 
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