Manu Smriti
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स्यन्दनाश्वैः समे युध्येदनूपे नौ द्विपैस्तथा ।वृक्षगुल्मावृते चापैरसिचर्मायुधैः स्थले ।।7/192

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
सम भूमि में रथ व घोड़ा द्वारा युद्ध करें जल-पूरित भूमि में नाव व हाथी द्वारा वृक्ष के झाड़ी वाली पृथिवी पर धनुष बाण द्वारा तथा संशोधित भूमि में ढाल तलवार द्वारा युद्ध करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो समभूमि में युद्ध करना हो तो रथ, घोड़े और पदातियों से जो समुद्र में युद्ध करना हो तो नौका और थोड़े जल में हाथियों पर वृक्ष और झाड़ी में बाण स्थल बालू में तलवार और ढाल से युद्ध करें - करावें । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जब समस्थल-प्रदेश में युद्ध करना हो तो रथ-घोड़ों से, और जब जल-प्रदेश में युद्ध करना हो तो नौकाओं-हाथियों से (समुद्र में नौका तथा अल्प जल में हाथी से) युद्ध करे। एवं, वृक्ष-झाड़ी-झङ्कार से आवृत जंगल में वाणों से, तथा साफ मैदान में तलवार ढाल-वर्छी-से युद्ध करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
सम भूमि मे रथ और घोडो से युद्ध करे (अनूपे नौदिषै तथा) ज लमे नाव और हाथियो से । वृक्ष और झाडियो मे धनुष से । थल मे तलवार और चर्म शास्त्रो से ।
 
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