Manu Smriti
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कृत्वा विधानं मूले तु यात्रिकं च यथाविधि ।उपगृह्यास्पदं चैव चारान्सम्यग्विधाय च ।।7/184

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
अपने देश की रक्षा का प्रबन्ध करके यथाविधि चढ़ाई के समाथिक कार्यों को करें (अर्थात् सवारी, अन्न, शस्त्र, कवच आदि सामग्री को ठीक करके साथ लेकर शत्रु के देश में जाके जिससे अपनी स्थिति हो उसको लेकर, शत्रु के सेवकों को अपने वश में कर शत्रु के देश का वृत्तन्त ज्ञात करने के अभिप्राय से चार प्रकार के चरों (दूतों) को भेजें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. जब राजा शत्रुओं के साथ युद्ध करने को जावे तब अपने राज्य की रक्षा का प्रबन्ध और यात्रा की सब सामग्री यथाविधि करके सब सेना, यान, वाहन, शस्त्र, अस्त्र आदि पूर्ण लेकर सर्वत्र दूतों अर्थात् चारों ओर के समाचारों को देने वाले पुरूषों को गुप्त स्थापन करके - शत्रुओं की ओर युद्ध करने को जावें । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जब राजा शत्रुओं के साथ युद्ध करने को जावे, तब अपने राज्य में रक्षा का प्रबन्ध और युद्धयात्रा की सब सामग्री यथाविधि तैयार करके, सेना-यान-वाहन-शस्त्रादि युद्धोपकरणों को, जिनसे शत्रु के मुकाबले में ठहरा जाता है, लेकर, चारों ओर के समाचारों को देने वाले दूतों को गुप्त तौर पर नियुक्त करके शत्रुओं की ओर युद्ध करने को जावे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
चढाई से पूर्व इतना प्रबन्ध करे:- (1) मूल अर्थात राजधानी का प्रबन्ध ठीक हो । (2) यात्रिकम-मार्ग के लिये सब प्रकार का सामान हो। (3) आस्पदम -डेरा तम्बू आदि ठीक हो। (4) चार अर्थात दूत ठीक -ठीक प्रकार से नियत हो।
 
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