Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
सरस्वतीदृशद्वत्योर्देवनद्योर्यदन्तरम् ।तं देवनिर्मितं देशं ब्रह्मावर्तं प्रचक्षते । । 2/17

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
देवताओं की नदी जो सरस्वती और दृशद्वती हैं उनके मध्य के देश को ब्रह्मवर्त कहते हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
सरस्वती - दृषद्वत्योः देवनद्योः सिन्धु और ब्रह्मपुत्र इन देवनदियों के यत् अन्तरम् जो अन्तराल - मध्यवर्तीका भाग है, तं देवनिर्मितं देशम् उस विद्वानों द्वारा बसाये देश को ब्रह्मावर्त प्रचक्षते ‘ब्रह्मावर्त’ कहा जाता है ।
टिप्पणी :
महर्षि दयानन्द ने ब्रह्मावर्त के स्थान पर आर्यावत्र्त पाठ ग्रहण करके निम्न व्याख्या दी है - देवनद्योः सरस्वती - दृषद्वत्योः देवनदियों - देव अर्थात् विद्वानों के संग से युक्त सरस्वती और दृषद्वती नदियों, उनमें सरस्वती नदी जो पश्चिम प्रान्त में वर्तमान उत्तर देश से दक्षिण समुद्र में गिरती है, जिसे सिन्धु नदी कहा जाता है और पूर्व में जो उत्तर से दक्षिण देशीय समुद्र में गिरती है, जिसे ब्रह्मपुत्र के नाम से जानते हैं , इन दोनों नदियों के यत् अन्तरम् बीच का देवनिर्मितम् विद्वानों - आर्यों द्वारा सुशोभित देशम् स्थान आर्यावत्र्त प्रचक्षते ‘आर्यावत्र्त’ कहलाता है । (ऋ० दया० पत्र वि० पृ० ९९ - हिन्दी में अनूदित) उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश में इस श्लोक के साथ १४१ वां या २।२२ वां श्लोक संयुक्त करके उसकी व्याख्या इस प्रकार की है - ‘‘उत्तर में हिमालय, दक्षिण में विध्यांचल, पूर्व और पश्चिम में समुद्र तथा सरस्वती पश्चिम में अटक नदी , पूर्व में दृषद्वती जो नेपाल के पूर्वभाग पहाड़ से निकल के बंगाल के आसाम के पूर्व और ब्रह्मा के पश्चिम और होकर दक्षिण के समुद्र में मिली है जिसको ब्रह्मपुत्रा कहते हैं और जो उत्तर के पहाड़ों से निकल के दक्षिण के समुद्र की खाड़ी में अटक मिली है । हिमालय की मध्यरेखा से दक्षिण और पहाड़ों के भीतर और रामेश्वर पर्यन्त विन्ध्याचल के भीतर जितने देश हैं उन सबको आर्यावत्र्त इसलिये कहते हैं कि यह आर्यावत्र्त देव अर्थात् विद्वानों ने बसाया और आर्य जनों के निवास करने से आर्यावत्र्त कहाया है ।’’ (स० प्र० अष्टम समु०)
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(सरस्वती-दृषद्वत्योः देवनद्योः) सरस्वती और दृषद्वती नामी दो देव-नदियों के (यत् अन्तरम्) जो बीच में है। (तं देवनिर्मितं देशं ब्रह्मावर्तं प्रचक्षते) उस देवों द्वारा बनाये हुए देश को ब्रह्मावर्त कहते हैं।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
सिन्धु और ब्रह्मपुत्रा, इन दोनों देवनदियों के अन्तर्वर्ती जो स्थान है, आर्यों से बसाए हुए उस देश को ब्रह्मावर्त कहते हैं
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS