Manu Smriti
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आयत्यां गुणदोषज्ञस्तदात्वे क्षिप्रनिश्चयः ।अतीते कार्यशेषज्ञः शत्रुभिर्नाभिभूयते ।।7/179

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ऐसा विचार करने वाला राजा शत्रुओं से कभी दुःख व पीड़ा नहीं पाता।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो राजा भविष्यत् अर्थात् आगे करने वाले कर्मों में गुण - दोषों का ज्ञाता वर्तमान में तुरन्त निश्चय का कत्र्ता, और किये हुए कार्यों में शेष कत्र्तव्य को जानता है वह शत्रुओं से पराजित कभी नहीं होता । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
क्योंकि, जो राजा भविष्यत् के गुण-दोषों को समझता है, वर्तमान में तुरन्त निश्चय करता है, और किये हुए कार्य में शेष कार्य को समझता है, वह कभी शत्रुओं से पराजित नहीं होता।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
वह पुरूष (शत्रुभि न् अभिभूयते) शत्रुओ से पराजित नही होता (आयत्याम गुणादोषज्ञ ) जो भविष्य के गुण और दोषो को जानता है (तदात्वे क्षिप्र निश्चयः) वर्तमान के विषय में तुरन्त निश्चय कर सकता हैं (अतीते कायर्य शेषज्ञः) और व्यतीत हुए के विषय मे विचार कर सकता है।
 
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