Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिन सब कार्यों का दोष, गुण, भूत, भविष्यत् वर्तमान काल से सम्बन्ध रखने वाला हो उन सब का उत्तम रीति से विचारें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. सब कार्यों का वर्तमान में कत्र्तव्य और भविष्यत् में जो - जो करना चाहिए और जो - जो काम कर चुके, उन सबके यथार्थता से गुण - दोषों को विचार करे । पश्चात् दोषों के निवारण और गुणों की स्थिरता में यत्न करे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
उसकी सिद्धि के लिये राजा को सब कामों के भावी व तात्कालिक गुण-दोषों को, तथा सब अतीत कर्मों के गुण-दोषों को यथार्थ रूप में विचारना चाहिए
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
सब (आयतिम) भविष्य के (तदात्वम) वर्तमान के (अतीत) गत समय के कामों के सब गुण और दोषों को ठीक ठीक जान ले