Manu Smriti
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मन्येतारिं यदा राजा सर्वथा बलवत्तरम् ।तदा द्विधा बलं कृत्वा साधयेत्कार्यं आत्मनः ।।7/173

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जब राजा शत्रु को अत्यन्त बलवान् जाने तब द्विगुणा वा दो प्रकार की सेना करके अपना कार्य सिद्ध करे । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जब राजा शत्रु को सब प्रकार से अपने से अधिक बलवान् समझे, तब अपनी सेना को दो भागों में विभक्त करके अपनी कार्य-सिद्धि करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जब राजा शत्रु को बहुत बलयुक्त देखे तब सेना के दो भाग करके अपना कार्य साधे
 
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