Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जब राजा शत्रु को अत्यन्त बलवान् जाने तब द्विगुणा वा दो प्रकार की सेना करके अपना कार्य सिद्ध करे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जब राजा शत्रु को सब प्रकार से अपने से अधिक बलवान् समझे, तब अपनी सेना को दो भागों में विभक्त करके अपनी कार्य-सिद्धि करे।