Manu Smriti
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यदा तु स्यात्परिक्षीणो वाहनेन बलेन च ।तदासीत प्रयत्नेन शनकैः सान्त्वयन्नरीन् ।।7/172

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जब सेना, बल, वाहन से क्षीण हो जाये तब शत्रुओं को धीरे - धीरे प्रयत्न से शान्त करता हुआ अपने स्थान में बैठा रहे । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जब राजा हाथी-घोड़ा आदि वाहन और सैन्यबल से कमज़ोर हो, तब प्रयत्न से शत्रुओं को धीरे-धीरे शान्त करता हुआ चुपचाप बैठा रहे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
और जब सवारी या सेना मे कम हो तब (आसीत प्रयत्नेन शनकैः सान्त्वयन अरीन) शत्रुओ को प्रयत्न से धीरे धीरे शान्त करता हुआ बैठा रहे।
 
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