Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
सन्धि, विग्रह, चढ़ाई, विश्राम, भेद, शरण लेना यह छः बातें दो दो प्रकार की हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. राजा, संधि, विग्रह, यान, आसन, द्वैधीभाव और संश्रय दो - दो प्रकार के होते हैं, उनको यथावत् जाने ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
संधि, विग्रह, यान, आसन, और संश्रय, ये पाँच कर्म प्रत्येक दो दो प्रकार के हैं। उन्हें राजा यथावत् जाने।