Manu Smriti
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एताः प्रकृतयो मूलं मण्डलस्य समासतः ।अष्टौ चान्याः समाख्याता द्वादशैव तु ताः स्मृताः ।।7/156

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
संक्षेप में ये चार (मध्यम, विजिगीषु, उदासीन और शत्रु) राज्यमण्डल की मूल प्रकृतियाँ - मूल रूप से विचारणीय स्थितयां या विषय हैं और आठ प्रकृतियां और कही गई हैं इस प्रकार वे कुल मिला कर बारह होती हैं ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
स्ंक्षेप से मण्डल अर्थात सूबो की शासन सम्बन्धी यह चार मूल प्रकृतियाॅ है। आठ और है । इस प्रकार बारह हुई ।
 
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