Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
दूत भेजना, शेष काय्र्य, नगर के भीतर का वृत्तान्त लाने वाले की हृदयेच्छा जानना, इन सब बातों पर भी विचार करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
और दूतों को इधर - उधर भेजना उसी प्रकार अन्य शेष रहे कार्यों को पूर्ण करना तथा अन्तः पुर महल के आन्तरिक आचरण एवं स्थिति और नियुक्त गुप्तचरों के आचरण एवं चेष्टाएं, इन पर भी ध्यान रखे, विचार करे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
(२) परराष्ट्रों में दूतों के भेजने, (३) बचे हुए कामों को पूरा करने, (४) अन्तःपुर की हलचलों, (५) और विश्वस्त दूतादि प्रतिनिधियों की चेष्टाओं पर विचार करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
दूत या गुप्तचरों के भेजने का काम या अन्य जो काम शेष रहा हो या महल की स्थिति तथा प्रतिनिधियो के विचार इन सब का चिन्तन करे ।