Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
मन्त्रियों के अतिरिक्त अन्य लोग मित्रता करने पर भी जिस राजा की मन्त्रणा को नहीं जान सकते हैं वह राजा निर्धन होने पर भी पृथ्वी पर राज्य कर सकता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जिस राजा के गूढ़ विचार को अन्य जन मिलकर नहीं जान सकते अर्थात् जिसका विचार गम्भीर, शुद्ध, परोपकारार्थ सदा गुप्त रहे वह धनहीन भी राजा सब पृथिवी का राज्य करने में समर्थ होता है ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जिस राजा के गूढ़ विचार को मंत्रियों के सिवाय अन्य सब लोग मिलकर भी नहीं जान पाते, वह राजा धनहीन होने पर भी सम्पूर्ण पृथिवी का राज्य करने में समर्थ होता है। एवं, राजा अपने मन से एक भी काम न करे, जब तक कि उसमें सभासदों की अनुमति न हो।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जिस राजा के भेद को और पुरूष जानने नही पाते उसके पास यदि कोश न भी हो तो भी वह सम्पूर्ण पृथ्वी को भोगता है ।