Manu Smriti
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तत्र स्थितः प्रजाः सर्वाः प्रतिनन्द्य विसर्जयेत् ।विसृज्य च प्रजाः सर्वा मन्त्रयेत्सह मन्त्रिभिः ।।7/146

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
सभा में बैठकर प्रजा को देखभाल कर तथा समयोचित वार्तालाप कर विदा करें, तत्पश्चात् राज्य प्रबन्ध के विषय में सचिव से मन्त्रणा करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
वहां खड़ा रहकर जो प्रजाजन उपस्थित हों उन को मान्य दे और उनको छोड़कर मुख्यमंत्री के साथ राज्य - व्यवस्था का विचार करे । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
उस सभामण्डप में कुछ काल खड़े रह कर राजा समस्त प्रजाजनों को कुशलादि-संभाषण से आनन्दित करके विदा करे। और, एवं सब प्रजाजनों को विदा करके तत्पश्चात् मंत्रियों के साथ राज्यव्यवस्था-सम्बन्धी मन्त्रणा करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
वहाॅ बैठकर सब प्रजा को सन्तुष्ट करके वापिस करे । सब प्रजा को विदा करके मन्त्रियों के साथ परामर्श करे ।
 
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