Manu Smriti
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पत्रशाकतृणानां च चर्मणां वैदलस्य च ।मृन्मयानां च भाण्डानां सर्वस्याश्ममयस्य च ।।7/132

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पत्ता, शाक, तृण (घास), चमड़ा, बाँस का पात्र, मिट्टी पात्र, पत्थर पात्र, के लाभ का छठा अंश राजा लेवे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
और वृक्षपत्र, शाक, तृण चमड़ा, बांसनिर्मित वस्तुएं मिट्टी के बने बर्तन और सब प्रकार के पत्थर से निर्मित पदार्थ, इनका भी छठा भाग कर ले ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इसी प्रकार, राजा बल्ली-गेली आदि वृक्ष के तनों, शहदों, घृतों, गन्धों, औषधियों, रसों, फूलों, मूलों, फलों, पत्तों, शाकों तृणों, चमड़ों, बांस के बने पदार्थों, मट्टी के बने बर्तनों, और पत्थर के बने सब प्रकार के पदार्थों के लाभ का छठा भाग लेवे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
इन चीजों के व्यापार से जो लाभ हो, उसका छठा भाग लेः-(1) गोंद, मधु, घी, गन्ध, औषध, रस, फूल, मूल, फल (2) पत्ता, शाक, तृण, (भूसा आदि), चमड़ा, या बेत की टोकरियाँ आदि, मिट्टी और पत्थर के बर्तन ।
 
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