Manu Smriti
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आददीताथ षड्भागं द्रुमांसमधुसर्पिषाम् ।गन्धौषधिरसानां च पुष्पमूलफलस्य च ।।7/131

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
वृक्ष, मांस, मद्य, घी, सुगन्धित वस्तुयें, औषधियाँ, रस, फल, फूल, मूल।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
और गोंद, मधु, घी और गंध, औषधि, रस तथा फूल, मूल और फल, इनका छठा भाग कर में लेवे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
१. द्रुभ अंस-द्रुम-स्कन्ध-वृक्ष का तना। क्योंकि, कई मनुस्मृति पुस्तकों में ‘द्रुमाणां मधुसर्पिषाम्’ ऐसा पाठ पाया जाता है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
इन चीजों के व्यापार से जो लाभ हो, उसका छठा भाग लेः-(1) गोंद, मधु, घी, गन्ध, औषध, रस, फूल, मूल, फल (2) पत्ता, शाक, तृण, (भूसा आदि), चमड़ा, या बेत की टोकरियाँ आदि, मिट्टी और पत्थर के बर्तन ।
 
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