Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
और बीस ग्रामों का अधिपति बीस ग्रामों के वर्तमान को (बीस ग्रामों की स्थिति को) शतग्रामाधिपति को नित्यप्रति निवेदन करे वैसे सौ - सौ ग्रामों के पति आप सहस्त्राधिपति अर्थात् हजार ग्रामों के स्वामी को सौ - सौ ग्रामों के वर्तमान को प्रतिदिन जनाया करें ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
ग्राम में उत्पन्न हुये दोषों को गुप्तता से ग्रामपति स्वयं दशग्रामपति को नित्य जतलाता रहे। इसी प्रकार दश ग्रामों में उत्पन्न दोषों को दशग्रामपति विंशतिग्रामपति को गुप्तता से स्वयं तजलावे। इसी प्रकार बीस ग्रामों में उत्पन्न दोषों को विंशति-ग्रामपति शतग्रामपति को गुप्तता से स्वयं निवेदन करे। और, इसी प्रकार सौ ग्रामों में उत्पन्न दोषों को शतग्रामपति सहस्रग्रामपति को गुप्तता से स्वयं जतलावे।