Manu Smriti
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ग्रामदोषान्समुत्पन्नान्ग्रामिकः शनकैः स्वयम् ।शंसेद्ग्रामदशेशाय दशेशो विंशतीशिने ।।7/116

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
गाँव में कुछ उपद्रव हो तो गाँव का रक्षक (स्वामी) दस गाँव के स्वामी से चुपके से कहे और वह बीस गाँव के स्वामी से कहे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
इसी प्रकार प्रबंध करे और आज्ञा देवे कि वह एक - एक ग्रामों के पति ग्रामों में नित्यप्रति जो - जो दोष उत्पन्न हों उन - उनको गुप्तता से दशग्राम के पति को विदित कर दे, और वह दश ग्रामाधिपति उसी प्रकार बीस ग्राम के स्वामी को दशग्रामों का वर्तमान (की स्थिति) नित्य प्रति जना देवे । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
ग्राम में उत्पन्न हुये दोषों को गुप्तता से ग्रामपति स्वयं दशग्रामपति को नित्य जतलाता रहे। इसी प्रकार दश ग्रामों में उत्पन्न दोषों को दशग्रामपति विंशतिग्रामपति को गुप्तता से स्वयं तजलावे। इसी प्रकार बीस ग्रामों में उत्पन्न दोषों को विंशति-ग्रामपति शतग्रामपति को गुप्तता से स्वयं निवेदन करे। और, इसी प्रकार सौ ग्रामों में उत्पन्न दोषों को शतग्रामपति सहस्रग्रामपति को गुप्तता से स्वयं जतलावे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
एक गाॅव का हाकिम यदि अपने गाॅव के उत्पन्न हुए दोषो को स्वयं न ठीक कर सके तो दस गाॅव वाले हाकिम को धीरे धीरे (शनके:) सुचना दे देवे । इसी प्रकार दस गाॅव का हाकिम को धीरे धीरे (शनके) सूचना दे देवे । इसी प्रकार दस गाॅव का हाकिम बीस वाले को।
 
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