Manu Smriti
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ग्रामस्याधिपतिं कुर्याद्दशग्रामपतिं तथा ।विंशतीशं शतेशं च सहस्रपतिं एव च ।।7/115

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
योग्यतानुसार किसी को एक गाँव का किसी को दस गाँव का, किसी को बीस गाँव का, किसी को सौ गाँव का तथा किसी को सहस्र गाँव का स्वामी बनावें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. एक - एक ग्राम में एक - एक प्रधान पुरूष को रखे उन्हीं दश ग्रामों के ऊपर दूसरा उन्हीं बीस ग्रामों के ऊपर तीसरा उन्हीं सौ ग्रामों के ऊपर चैथा और उन्हीं सहस्त्र ग्रामों के ऊपर पांचवां पुरूष रखे ।
टिप्पणी :
अर्थात् जैसे आजकल एक ग्राम में एक पटवारी, उन्हीं दशग्रामों में एक थाना और दो थानों पर एक बड़ा थाना और उन पांच थानों पर एक तहसील और दस तहसीलों पर एक जिला नियत किया है । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
प्रत्येक ग्राम में एक-एक अधिपति नियुक्त करे। उन्हीं दश ग्रामों के ऊपर दूसरा, उन्हीं बीस ग्रामों के ऊपर तीसरा, उन्हीं सौ ग्रामों के ऊपप चौथा, और उन्हीं सहस्र ग्रामों के ऊपर पांचवां अधिपति नियुक्त करे।१
टिप्पणी :
इसके आगे स्वामी जी ने लिखा है-जैसे आजकल एक ग्राम में एक पटवारी, उन्हीं दश ग्रामों में एक थाना, दो थानों पर एक बड़ा थाना, उन पांच थानों पर एक तहसील, और दश तहसीलों पर एक जिला नियत किया गया है। यह वही, अपने मनु आदि धर्मशास्त्र से, राजनीति का प्रकार लिया गया है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
एक एक गाॅव का अधिपति नियुक्त करे । इनके ऊपर दस-दस गाॅवो का । फिर इन बीस पर उक फिर इन सौ सौ पर एक फिर इन हजार हजार पर एक ।
 
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