Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
वही तीन पाँच गाँवों के मध्य में रक्षा का गृह बनावें और उसमें प्रबन्ध करने के हेतु अपने कर्मचारी रक्खें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. इसलिए दो, तीन, पाँच और सौ गांव के बीच में एक राज - स्थान रख के जिसमें यथा योग्य भृत्य और कामदार आदि राजपुरूषों को रख कर सब राज्य के कार्यों को पूर्ण करे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
दो, तीन, पांच और सौ ग्रामों के बीच में एक एक राष्ट्रसंग्रह, अर्थात् राज्यरक्षा-स्थान, बनावे, जिसमें किसी योग्य मुखिया के आधीन रक्षक-समृह को अधिष्ठित करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
दो तीन या पाॅच गाॅवो के बीच में गुलम अर्थात संस्थान विशेष (जिला आदि) की स्थापना करे । तथा सौ गाॅव के बीच में भी राष्ट्र का निमार्ण करे ।