Manu Smriti
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एषोऽनुपस्कृतः प्रोक्तो योधधर्मः सनातनः ।अस्माद्धर्मान्न च्यवेत क्षत्रियो घ्नन्रणे रिपून् ।।7/98

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
क्षत्रिय शूरवीरों का भी धर्म यही कहा है कि वे रण में शत्रु को मारते हुए क्षात्र धर्म को न छोड़ें। यदि वे क्षात्र धर्म त्याग दें तो क्षत्रिय कहलाने योग्य नहीं हो सकते।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
यह (८७-९७) अनिन्दित सर्वदा मान्य योद्धाओं का धर्म कहा, क्षत्रिय व्यक्ति युद्ध में शत्रुओं को मारते हुए इस धर्म से विचलित न होवे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
यह प्रशंसित और सनातन योद्धाओं का धर्म कहा गया है। अतः, युद्ध में शत्रुओं को मारता हुआ योद्धा इस धर्म से कभी विचलित न हो।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(एषः) यह (अनुपस्कृतः) अनिन्दनीय (सनातनः) सनातन (योधधर्म) युद्ध का धर्म (प्रोत) कहा गया । (रणे रिपून ध्रन) रण में शत्रुओ को मारता हुआ (क्षत्रिय) क्षत्रिय (अस्मात धर्मात न च्यवेत) इस धर्म से न गिरे ।
 
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