Manu Smriti
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राज्ञश्च दद्युरुद्धारं इत्येषा वैदिकी श्रुतिः ।राज्ञा च सर्वयोधेभ्यो दातव्यं अपृथग्जितम् ।।7/97

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
सोना, चाँदी, भूमि आदि जो उत्तम वस्तुयें जीत में प्राप्त हों उनका पाने वाला अपने राजा को देवे, यही वेद में लिखा है, तथा राजा उस वस्तु को उन सब शूरों को बाँट दे जिन्होंने देश विजय किया है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. परन्तु सेनास्थ जन भी उन जीते हुए पदार्थों में से सोलहवां भाग राजा को देवें और राजा भी सेनास्थ योद्धाओं को उस धन में से जो सब ने मिलकर जीता हो सोलहवां भाग देवे ।
टिप्पणी :
और जो कोई युद्ध में मर गया हो उसकी स्त्री और सन्तान को उसका भाग देवे और उसकी स्त्री तथा असमर्थ लड़कों का यथावत् पालन करें । जब उसके लड़के समर्थ हो जावें तब उनको यथायोग्य अधिकार देवे । जो कोई अपने राज्य की वृद्धि, प्रतिष्ठा, विजय और आनन्दवृद्धि की इच्छा रखता हो, वह इस मर्यादा का उल्लंघन कभी न करे । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु, वे सैनिक लोग उन जीते हुए पदार्थों को सोलहवां भाग राजा को देवें, यह वेद की घोषणा है। और इसी प्रकार जिस पदार्थ को सैनिकों ने इकट्ठा जीता हो, उसका सोलहवां भाग राजा उन सब सैनिकों में बांटे।१
टिप्पणी :
और, जो कोई युद्ध में मर गया हो, तो उसकी स्त्री और सन्तान को उसका भाग देवे, और उसकी स्त्री तथा असमर्थ लड़कों का यथावत् पालन करे। जब उसके लड़के समर्थ हो जावें, तब उनको यथायोग्य अधिकार देवे। जो कोई अपने राज्य की वृद्धि, प्रतिष्ठा, विजय और आनन्दवृद्धि की इच्छा रखता हो वह इस मर्य्यादा का उल्लङ्घन कभी न करे। (स्वामी जी)
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(उद्धारम) जो बहुत बडा धन हो जैसे कोष आदि उसे (राज्ञ दघु) राजा को देवे ।(एषा वैदिकी श्रुतिः) यह वैदिक श्रुति है। (अपृथक जितमृ तु) जिस चीज को सब ने मिलकर जीता हो (राजा सर्वयोधेभ्यः दातश्रय) राजा को चाहिये कि ऐसी चीज को सब योद्धाओं को दे देवे ।
 
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