Manu Smriti
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पुरोहितं च कुर्वीत वृणुयादेव च र्त्विजः ।तेऽस्य गृह्याणि कर्माणि कुर्युर्वैतानिकानि च ।।7/78

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पुरोहित व ऋत्विज इन दोनों को अधिकार दें यह दोनों राजा के अग्निहोत्र आदि गृह के कार्यों को करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. पुरोहित और ऋत्विक् का स्वीकार इसलिये करे कि वे अग्निहोत्र और पक्षेष्टि आदि सब राजघर के कर्मों को करें और आप सर्वदा राज कार्य में तत्पर रहे । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इसी प्रकार राजा एक पुरोहित को नियुक्त करे और ऋत्विजों का वरण करे। वे इसके अग्निहोत्र-पक्षेष्टि आदि सब राजघर के काम किया करें, और आप सर्वदा प्रत्येक राजकार्य में तत्पर रहे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(पुरोहितम् च कुर्वीत) एक पुरोहित नियत करे (ऋत्विजः च एव वृणुयात्) ऋत्विज अर्थात् यज्ञ करने वालों का वरण करे (उनको नियत करे), (ते) वे ऋत्विज, (अस्य गृह्माणि कर्माणि कुर्यः) इसके गृह्म सम्बन्धी कर्म करें, (वै तानि कानि) जो कोई किये जातें हो।
 
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