Manu Smriti
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तत्स्यादायुधसंपन्नं धनधान्येन वाहनैः ।ब्राह्मणैः शिल्पिभिर्यन्त्रैर्यवसेनोदकेन च ।।7/75

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
दुर्ग के भीतर यह सामग्री उपस्थित रहनी चाहिए-शस्त्र, धन, धान्य (अन्न), ब्राह्मण, शिल्पी (कारीगर), यन्त्र (फल), घास, पानी तथा इन्धन आदि।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. वह दुर्ग शस्त्रास्त्र धन, धान्य, वाहन ब्राह्मण, जो पढ़ाने, उपदेश करने हारे हों कारीगर यन्त्र - नाना प्रकार की कला चारा - घास और जल आदि से सम्पन्न अर्थात् परिपूर्ण हो । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
वह दुर्ग शस्त्रास्त्रों, धन-धान्यों, वाहनों, अध्यापक-उपदेशक ब्राह्मणों, कारीगरों, नानाप्रकार के यंत्रों, चारा-घास, और जल से परिपूर्ण हो।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(तत्) उस किले को इतनी चीजों से युक्त होना चाहिये-(1) आयुध-शस्त्र-अस्त्र, (2) धन, (3) धान्य-अन्न (4) वाहन-घोडे आदि सवारी, (5) ब्राहम्ण-विद्धान, (6) शिल्पिभिः-कारीगर (7) यन्त्र-कले, (8) यवस-चारा,(9) उदक-जल।
 
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