Manu Smriti
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सर्वेण तु प्रयत्नेन गिरिदुर्गं समाश्रयेत् ।एषां हि बाहुगुण्येन गिरिदुर्गं विशिष्यते ।।7/71

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस देश के चारों ओर पहाड़ हैं उसमें निवास करें जहाँ तक ऐसा स्थान (देश) मिले अन्य स्थान में निवास न करें। इन सबों में ऐसा देश सर्वोत्तम है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. राजा सब प्रकार से प्रयत्न करके ‘पर्वतदुर्ग’ का ही आश्रय करे - बनाकर रहे क्यों कि सब में अधिक विशेषताओं के कारण पर्वतदुर्ग ही सर्वश्रेष्ठ है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
पूर्वोक्त छः प्रकार के दुर्गों में से अनेक गुणों के कारण गिरिदुर्ग श्रेष्ठ है। अतः, राजा पूरे प्रयत्न से जहां तक बन सके गिरिदुर्ग का ही आश्रय लेवे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
बाहुगुण्येन) बहुत से गुणों के कारण (एषा हि गिरिदुर्गम् विशिष्येते) इन सबसे अच्छा गिरिदुर्ग है। इसलिये (सर्वेण प्रयत्नेन गिरिदुर्गम् समाश्रयेत्) पूर्ण प्रयत्न करके गिरिदुर्ग का आश्रय लेना चाहिये।
 
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