Manu Smriti
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अमात्ये दण्ड आयत्तो दण्डे वैनयिकी क्रिया ।नृपतौ कोशराष्ट्रे च दूते संधिविपर्ययौ ।।7/65

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
सचिव के अधीन दण्ड है, दण्ड के अधीन न्याय है, राजा के अधीन कोष व राज्य है, दूत के अधीन सन्धि तथा विग्रह है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. अमात्य को दण्डाधिकार दण्ड में विनय - अनुशासित क्रिया अर्थात् जिससे अन्यायरूप दण्ड न होने पावे राजा के अधीन कोश और राष्ट्र तथा सभा के अधीन सब कार्य और दूत के अधीन किसी से मेल वा विरोध करना अधिकार देवे । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
अमात्य के आधीन दण्ड का अधिकार हो, और उस दण्ड में विनय-क्रिया, सुशिक्षा-न्याय आदि, अन्तर्गत है। राजा के आधीन कोश और राष्ट्र, तथा दूत के आधीन सन्धि-विग्रह हो।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
दण्ड अर्थात् कानून मंत्री के आधीन है। सुशिक्षा कानून के आधीन है। कोष और राज राजा के आधीन है। सन्धि और लडाई दूत के आधीन है।
 
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