Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
इन मन्त्रियों में चतुर, कुलवान शुद्ध व पवित्र, अनिच्छुक, तथा धैर्यवान् हों उनको कार्य सौंप दे जिसमें धन प्राप्त हो, तथा जो मनुष्य कायर व डरपोक हों उनको कोट (किला) के भीतर रक्खें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. इनके अधीन शूरवीर बलवान् कुलोत्पन्न पवित्र भृत्यों को बड़े - बड़े कर्मों में, और भीरू डरने वालों को भीतर के कर्मों में नियुक्त करे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
उन अमात्यों के आधीन शूरवीर, चतुर, कुलीन और पवित्र भृत्यों को बड़े-बड़े कर्मों में, और डरने वाले भीरुओं को राजभवन के भीतर के कार्मों में नियुक्त करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(तेषाम्) उनमें से (शूगन्, दक्षान, कुलोद्गतान्, शुचीन) वीर, चतुर, अच्छे,कुल वाले, पवित्र लोगों को (आकर कर्मान्ते अर्थे नियुजीत) सोने की खान या ऐसे ही बाहारी कामों पर नियुक्त करे, (भीरून् अन्तरिवेशने) जो डरपोक हों उनकों भीतरी कामों पर