Manu Smriti
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अन्यानपि प्रकुर्वीत शुचीन्प्राज्ञानवस्थितान् ।सम्यगर्थसमाहर्तॄनमात्यान्सुपरीक्षितान् ।।7/60

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो मनुष्य शुद्ध व सर्वज्ञाता है-उत्तम व उचित रीति से धन प्राप्त करने वाले हैं, तथा उत्तम विधि से जिनकी परीक्षा हो चुकी है ऐसे और भी मंत्री नियत करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
अन्य भी बुद्धिमान् निश्चित बुद्धि पदार्थों के संग्रह करने में अतिचतुर सुपरीक्षित मंत्री करे । (स० प्र० षष्ठ समु०)
टिप्पणी :
‘‘इसी प्रकार अन्य भी राज्य और सेना के अधिकारी जितने पुरूषों से राज्यकार्य सिद्ध हो सके उतने ही पवित्र, धार्मिक, विद्वान् चतुर, स्थिरबुद्धि पुरूषों को राज्यसामग्री के वर्धक नियत करे ।’’ (सं० वि० गृहाश्रम प्र०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इन आठ सचिवों के अतिरिक्त अन्य अमात्यों को भी राजा नियुक्त करे जो पवित्रात्मा, बुद्धिमान्, निश्चितबुद्धि, पदार्थों के संग्रह करने में अतिचतुर और सुपरीक्षित हों।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
इसके सिवाय अन्यों को भी मंत्री वनावे जो शुद्ध, बुद्धिमान्, निश्चय विचार वाले, भले प्रकार धन कमाने वाले और देखेभाले हो।
 
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