Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
क्योंकि, जो कर्म सुगम है, वह भी जब विशेष सहाय के बिना एकले से किया जाना कठिन हो जाता है, तब महान् राज्यकर्म एकले से कैसे हो सकता है? इसलिए अकेले राजा की बुद्धि पर राज्य-कार्य्य का निर्भर रखना बहुत ही बुरा काम है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
आसान काम भी बिना सहायता के एक पुरूष से नहीं हो सकता। तो राज्य जैसा कठिन काम बिना सहायता के कैसे हो सकता है।