Manu Smriti
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शुचिना सत्यसंधेन यथाशास्त्रानुसारिणा ।प्रणेतुं शक्यते दण्डः सुसहायेन धीमता ।।7/31

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो राजा पवित्र, सत्यवादी शास्त्रानुरोगी शरणागत पालक तथा बुद्धिमान है वह निस्संदेह दण्ड देने की सामथ्र्य रखता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. और जो पवित्र सत्याचार और सत्पुरूषों का संगी यथावत् नीतिशास्त्र के अनुकूल चलने हारा श्रेष्ठ पुरूषों के सहाय से युक्त बुद्धिमान् है वही न्यायरूपी दण्ड के चलाने में समर्थ होता है । (स० प्र० षष्ठ समु०)
टिप्पणी :
‘‘इसलिए जो पवित्र, सत्पुरूषों का संगी, राजनीतिशास्त्र के अनुकूल चलने हारा, धार्मिक पुरूषों के सहाय से युक्त, बुद्धिमान् राजा हो, वही इस दण्ड को धारण करके चला सकता है ।’’ (स० वि० गृहाश्रम प्र०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु वह दण्ड, पवित्र, सत्पुरुषों के संगी, राजनीतिशास्त्र के अनुकूल चलने वाले, धार्मिक पुरुषों के सहाय से युक्त, तथा बुद्धिमान् राजा ही से न्यायूपर्वक चलाया जा सकता है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
ऐसा राजा इस दण्ड को चला सकता हैः- (1) शुचि-पवित्र, (2) सत्य-सन्ध-सत्य-प्रिय, (3) यथाशास्त्रानुसारी-शास्त्र के अनुकूल चलने वाला, (4) सुसहाय-अच्छे मन्त्री या राजसभा-युक्त, (5) धीमान्-बुद्धिमान्। (30)
 
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