Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ब्रह्मा अर्थात् वेद के जानने वाले ने उस अण्डे अर्थात् विराट् में एक वर्ष तक रह कर और परमात्मा का ध्यान करके उस अण्डे अर्थात् विराट् को दो भागों में विभक्त किया।
टिप्पणी :
* यहाँ पर एक वर्ष अण्डे में रहने से यह तात्पर्य है कि ब्रह्माजी ने वेदों के ज्ञान और सृष्टि के नियम की तुलना की और उस तुलना के पश्चात् तम (अन्धकार) और प्रकाश (अग्नि और पृथ्वी) दोनों के गुणों का ज्ञान संसार में फैलाया।
Comment By: prem sagar chauhan
JaB bramha ji Jab ande me parmatma ka dhyan kiya to os parmatma ka kya naam hai