Manu Smriti
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तस्मिन्नण्डे स भगवानुषित्वा परिवत्सरम् ।स्वयं एवात्मनो ध्यानात्तदण्डं अकरोद्द्विधा । ।1/12
यह श्लोक प्रक्षिप्त है अतः मूल मनुस्मृति का भाग नहीं है
 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ब्रह्मा अर्थात् वेद के जानने वाले ने उस अण्डे अर्थात् विराट् में एक वर्ष तक रह कर और परमात्मा का ध्यान करके उस अण्डे अर्थात् विराट् को दो भागों में विभक्त किया।
टिप्पणी :
* यहाँ पर एक वर्ष अण्डे में रहने से यह तात्पर्य है कि ब्रह्माजी ने वेदों के ज्ञान और सृष्टि के नियम की तुलना की और उस तुलना के पश्चात् तम (अन्धकार) और प्रकाश (अग्नि और पृथ्वी) दोनों के गुणों का ज्ञान संसार में फैलाया।
 
USER COMMENTS
Comment By: prem sagar chauhan
JaB bramha ji Jab ande me parmatma ka dhyan kiya to os parmatma ka kya naam hai
Comment By: Admin
सबसे ऊपर देखिये पहले तो की यह श्लोक ही प्रक्षिप्त है उसके बाद निचे टिप्पणी को पढ़िए आपको आपके सवाल का जवाब मिल जाएगा धन्यवाद
Comment By: Rampershad Thakur
Anda Kis cheez ka tha aur Vrat Kya hota hai
Comment By: ADMIN
नमस्ते Rampershad Thakur जी यह श्लोक प्रक्षिप्त यानी बाद में मिलाया गया है यानी मनु द्वारा नही लिखा गया है
Comment By: पवन सिदार
श्लोक के नीचे स्पष्ट लिखा है कि यह श्लोक प्रक्षिप्त है । यहां प्रश्न करने का कोई मतलब नहीं है । इसे पढ़कर वास्तविकता का पता चला ।
 
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