Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस समय राजा ध्यान से विचार कर दण्ड देता है तब प्रजा को विश्राम व आनन्द मिलता है तथा जब वही दंड बिना विचार किये दिया जाता है तब सारी प्रजा का सब ओर विनाश कर देता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो दण्ड अच्छे प्रकार विचार से धारण किया जाये तो वह सब प्रजा को आनन्दित कर देता और जो बिना विचारे चलाया जाये तो सब ओर से राजा का विनाश कर देता है ।
(स० प्र० ६ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
यदि दण्ड को अच्छी प्रकार विचार करके धारण किया जावे, तो वह सारी प्रजा को आनन्दित करता है, और यदि बिना विचारे चलाया जावे तो वह सब प्रकार से राजा व राज्य का विनाश कर देता है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(सम्यक् समीक्ष्य घृतः स) यह दण्ड यदि ठीक ठीक दिया जाय तो (सर्वाः प्रजाः रंजयति) सब प्रजा को सुख देता है।
(असमीक्ष्य प्रणीतः तु) अन्धाधुन्धी से दिया हुआ दण्ड (सर्वतः विनाशयति) सब का नाश कर देता है।