Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो देश सब ओर से भयदायक है तथा जिसमें राजा नहीं है उस देश के रक्षार्थ श्री ब्रह्माजी ने राजा को उत्पन्न किया।
टिप्पणी :
1-श्लोक 10 में रूप धारण करने से यह तात्पर्य है कि राजा पालन करने के समय इन्द्र व न्याय समय यमराज तथा शिक्षा प्रचार के समय सूर्य आदि का रूप हो जाता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
क्यों कि राजा के बिना इस जगत् में सब ओर भय के कारण व्याकुलता फैल जाने पर इस सब राज्य की सुरक्षा के लिए प्रभु ने ‘राजा’ के पद को बनाया है अर्थात् राजा बनाने की प्रेरणा मानवों के मस्तिष्क में दी है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
क्योंकि, राजा के न होने पर लोक में सर्वत्र भय के कारण विप्लव के फैल जाने से इस सम्पूर्ण लोक की रक्षा के लिए प्रभु ने राजा को बनाया। अतः उसका कर्तव्य है कि वह उसकी रक्षा न्यायपूर्वक यथावत् करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(अस्मिन् अराजके लोके हि) इस लोक में बिना राजा के (सर्वतः विद्रुते भयात्) चारो और गडबड़ होने के भय से (अस्य सर्वस्य रक्षार्थम्) इस सब जगत् की रक्षा के लिये (राजानम् असृजत् प्रभुः) ईश्वर ने राजा होने की संस्था को चलाया।