Manu Smriti
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दश लक्षणानि धर्मस्य ये विप्राः समधीयते ।अधीत्य चानुवर्तन्ते ते यान्ति परमां गतिम् ।।6/93

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. धर्म के दश लक्षणों का जो द्विज अध्यन - मन न करते हैं और पढ़कर - मनन करके इनका पालन करते हैं वे उत्तम गति को प्राप्त करते हैं ।
 
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