Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस प्रकार अग्नि के तपाने से सब धातुओं का मैल दूर हो जाता है उसी प्रकार प्राणायाम करने से इन्द्रियों के सब दोष दूर हो जाते हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
क्यों कि जैसे अग्नि में तपाने और गलाने से धातुओं के मल नष्ट हो जाते हैं वैसे ही प्राणों के निग्रह से मन आदि इन्द्रियों के दोष भस्मीभूत हो जाते हैं ।
(स० प्र० पंच्चम समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जैसे अग्नि में तपाने से धातुओं के मल छूट जाते हैं, वैसे प्राण के निग्रह से इन्द्रियों के दोष नष्ट हो जाते हैं।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जैसे तपाई हुई धातुओ के मल जल जाते है इसी प्रकार प्राणायाम से मन आदि इन्द्रियों के दोष क्षीण हो जाते है।