Manu Smriti
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त्यजेदाश्वयुजे मासि मुन्यन्नं पूर्वसंचितम् ।जीर्णानि चैव वासांसि शाकमूलफलानि च ।।6/15

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
मुनियों का अन्न जो सूचित किया है, जीर्ण वस्त्र (पुराने वसन) शाक, मूल, फल इन सबको आश्विन मास में त्याग दें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
पहले इकट्ठे किये हुए मुनि - अन्नों को और पुराने वस्त्रों को तथा पूर्वसंचित शाक, कन्दमूल, फलों को आश्विन के महीने में छोड़ देवे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु आश्विन मास में पूर्वसंचित मुनि-अन्न, पुरोन वस्त्रों और देर के रखे शाक-मूल-फलों का सेवन न करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(आश्व युजे मासि) क्वार के महीने में (पूर्व संचितम्) पहले का रक्खा हुआ, (मुनि + अन्नम्) मुनि-अन्न, (जीर्णानि वासांसि च एव) और पुराने वस्त्र, (शाक फलानि च) और शाक तथा फल त्याग दें। वर्षा से पूर्व मुनि + अन्न आदि वर्षा काल के लिये इकट्ठा किया जाता है। इसे वर्षा के पीछे फेंक देना चाहिये। क्योंकि कवार से ताजा मिलने लगता है।
 
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