Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
शराब, माँस, व पृथ्वी के क्षवाकार व भूतृण जो मलावा देश में प्रसिद्ध हैं व शकर शाक जो बाह्मीक देश में प्रसिद्ध हैं वे बहेड़ा इन सब का भोजन करना परित्याग करें।
टिप्पणी :
14वें श्लोक में मद्य मास का निषेध है। अतएव जहाँ माँस भक्षण लिखा है यह सब सम्मिलित किया हुआ है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
शराब, मांस, भूमि में उत्पन्न होने वाला छत्राक - कुकुरमुत्ता, भूस्तृण नामक शाकविशेष संहिजन और लसौड़े का फल, इन्हें न खाये ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
इन चीजों को न खावें:- शराब, मांस, (मीमानि कवकानि) भूमि में उत्पन्न हुए कवक (शायद यह कुकुरमुत्ता हो), भृतृण (यह भी एक शाक है), शिग्रुक (शायद सहजन हो), श्लेषात्मक फल जैसे लहसोड़ आदि।
नोट-कवक, भूतृण, शिग्रुक आदि किन शकों के नाम हैं, यह कहना कठिन है। शायद यह वन की चीजें हैं। इनका वानप्रस्थी के लिये निषेध है।